ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय में आज कुलपति प्रो नरेंद्र बहादुर सिंह के कार्यभार ग्रहण किया
ब्यूरो चीफ अंकित रावत
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय में आज कुलपति प्रो नरेंद्र बहादुर सिंह के कार्यभार ग्रहण करने पर प्रेस सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा विश्वविद्यालय को माइनॉरिटी इंस्टिट्यूट के रूप में जाना जाता है एवं इस छवि को बदलने की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में आस पास के गांवों को जोड़कर इस छवि को बदलने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए नई योजनाएं चलायी जाएंगी एवं जेंडर इक्विटी फंड का कार्यान्वयन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अन्य विश्वविद्यालय से भाषा विश्वविद्यालय की फ़ीस काफ़ी कम है जिसका लाभ सभी विद्यार्थी उठा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा आवेदकों को विश्विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया के लिए विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं को निर्देशित करते हुए उन्होंने एक समिति का गठन करने को कहा। उनका मानना है कि छात्रों को ज्ञान के साथ साथ हुनर भी आना चाहिए। उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से प्लेसमेंट पर ज़ोर दिया जाएगा एवं कैंपस ड्राइव द्वारा कंपनीज़ को विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
प्रेस सम्मेलन में भाषा विश्विद्याल के कुलसचिव, संजय कुमार, परीक्षा नियंत्रक, भावना मिश्रा, अधिष्ठाता छात्रकल्याण प्रो हैदर अली, अन्य अधिष्ठाता-प्रो एहतेशाम एहमद, प्रो चन्दना डे, प्रो मसूद आलम, डॉ तथीर फात्मा,के साथ प्रो संजीव त्रिवेदी एवं विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी डॉ तनु डंग भी उपस्थित रहे।
भाषा विश्विद्यालय के लिए कुलपति प्रो एन बी सिंह के विजन के मुख्य बिंदु संलग्न हैं।
1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करना।
2. नैक के दिशा-निर्देशों के अनुसार नैक एक्रीडेशन।
3. सभी स्टेक होल्डर्स को सम्मिलित कर बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करना एवं विश्वविद्यालय में अनुसंधान और नवाचार को गति प्रदान करना।
4. छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को गुड प्रैक्टिस, सामुदायिक सेवाओं, ग्रामीण जुड़ाव, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) की मदद के लिए प्रेरित करना।
5. अनुसंधान, स्टार्ट-अप और परामर्श नियम तैयार करना। अनुसंधान कंसोर्टियम तैयार कर विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को शोध प्रकाशनों और शोध प्रस्तावों के लिए प्रेरित करना।
6. अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय होने की धारणा बदलने के लिए विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में जनता और हितधारकों की भागीदारी और सहयोग बढ़ाना।
7. इंटर कॉलेजों में विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों और अवसरों के बारे में जानकारी प्रसारित करना और छात्र नामांकन बढ़ाने के लिये अन्य विश्वविद्यालयों का सहयोग प्राप्त करना।
8. प्रमुख संस्थानों/विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन और विदेशी छात्रों को आकर्षित करना।
9. एम्बेडिंग तकनीक और भाषा को बढ़ावा देते हुए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित शिक्षण-शिक्षा और एकीकृत शिक्षण प्रबंधन प्रणाली (आईएलएमएस), अकादमिक क्रेडिट बैंक, ई-लाइब्रेरी और अन्य ई-संसाधनों का कार्यान्वयन।
10. स्टार्ट अप और इनक्यूबेशन गतिविधियों के लिए सुविधा सृजित करना। कौशल विकास, वास्तविक दुनिया की समस्याओं के निवारण और रोज़गार के अवसरों के लिए विश्वविद्यालय-उद्योग संबंधों को मज़बूत करना।
11. माँग के आधार पर नए विषयों में सर्टिफिकेट/डिप्लोमा/यूजी/पीजी शुरू करना।
12. आंतरिक राजस्व सृजन (आईआरजी) बढ़ाना।
13. कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय और अन्य परिसर सुविधाओं में सुधार और उन्हें हर समय अच्छी स्थिति और कार्यात्मक रखने के उपाय करना।
14. पारदर्शी, निष्पक्ष, उत्तरदायी और कुशल शैक्षणिक शासन स्थापित करना, अनुशासन बनाए रखने एवं उसकी 360° निगरानी करना।
15. छात्रों / शोधार्थियों को विश्विद्यालय कार्य अवधि के बाद भी सुविधाएँ उपलब्ध कराना।